12 मार्च, 2023

नैनॉमें भरा समुन्दर पानी का



नैन दीखते भरे भरे 
कारण समझ से बाहर
कैसे नैनों में समुन्दर भर गया 
मुझे आश्चर्य नहीं हुआ यह देख |
हर बातपर  बरसता गरजता बादल 
सीखा यही उससे कभी  बातों पर
सब ने समझाया भी 
पर कहना नहीं माना उसने 
किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लिया 
यही बचपन से  सीखा उसने 
मन की मन मानी की उसने 
जितना भी रोका गया 
उसने वही कार्य करने की ठानी
|सब हारे समझा समझा कर 
पर मन मानी करने में जोआनंद आताथा
उससे बच नहींपाया
थक हार कर दर्पण देखा एक दिन जब 
बड़ा परिवर्तन खुद में पाया खुद में 
मन में उदासी का आलम देखा 
फिर कहना मानने की कसम खाई
अपनी गलती परउसे बहुत लज्जा आई |
आशा सक्सेना 

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