वन के राम तपस्वी राजा
भरत अवध के राज कुमार
जब सुना राम ने
भरत और माताएं मिलने आरहे हैं
सारी वीथियाँ साफ करवाईं
कहीं काँटा ना लग जाए मेरे भाई को
उसे मार्ग में कष्ट ना हो
उसने पालन किया
पिता की आज्ञा का
ली
खडाऊं रखा उन्हें सिंहासन पर
दिया आदर सन्मान उनको
जब तक भाई है वन में
यही उसका ठौर है
आदेश यही
जब राम यहाँ आएँ
उनकी अमानत उन्हें लौटाऊँगा
यही संकल्प लिया भरत ने
यह छोटा सा भाग रामायण का
बहुत सुन्दर लगता
बहुत प्रेरणा देता
है
यह भाई के प्रेम की सुन्दर मिसाल |
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