आज के सन्दर्भ में
जब भी आपस में मिलते
तनातनी बनी रह्ती
कभी तालमेल ना होता आपस में |
कितने भी प्रयत्न किये जाते
दोनो झुकने का नाम न लेते
किसी समस्या का निदान न होता
क्यूंकि कि कोई सलाहकार ही नहीं मिल पाता
सही सलाह ही नही मिलती जब
यह पता भी नहीं चलता
कि गलत या सही सलाह
होती कैसी
मैंने किसी की सलाह ना ली
सही सलाहकार ना खोजा
यही भूल रही मेरी
अपने ही घर में आग लगा ली मैंने
सही सलाहकार न खोजा
तभी यह भी ना हो पाया
तालमेल क्या रहा
किस हद तक सही रहा |
बहुत ठोकरें खाई फिर भी
सही राह ना चुन पाई
अब अपनी गलती
सही सलाह ना चुन पाने पर |
आँखें भी भरी भरी रहीं पर
अब पछताने से क्या लाभ
आगे से सतर्क हो कर
सही चुनाव करने की कसम खाई |
किसी सही जानकारी लेकर
समझ लेने कीअब आगे से
यह भूल कभी ना करने की कसम खाई
अपने विश्वास पर ही आगे बढ़ने की बात समझी
दूसरों की सलाह ना मानी पहले परखी जांची
तभी संतुष्ट हो पाई |
आशा सक्सेना
सार्थक चिंतन !
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