क्या कभी यह भी सोचा 
नतीजा क्या होगा मनमानी का  
सोते जागते एक ही गीत गाया तुमने  
हमने जो सोचा सही सोचा |
कभी किसी से सलाह ना ली 
ना ही चाही सलाह किसी की 
ना मागा किसी सलाहकार का स्वप्न भी 
अपनी रक्षक खुद हुई
आगे कदम बढाने के लिए |
हुई सचेत किसी की बातों में ना आई 
आत्मविश्वास भरा कूट कूट
 धरे अपने कदम उस पर दृढ़ता से 
यही सफलता हाथ लगी   |
आशा सक्सेना 
 
 
बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मधूलिका जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंसुन्दर पंक्तियों से सुसज्जित रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हरीश जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंआत्मविश्वास से भरपूर सुन्दर रचना ! बहुत बढ़िया !
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