31 अक्तूबर, 2023

ख्याल मन का

 

यह ख्याल है या मलाल मन का

जीवन का कुछ उधार है

ना जाने क्यों खुशी आती है

और गुम हो जाती है पल में |

पल भर की खुशी टिक कर रह नहीं पाती

यदि आजाए किसी को सहन ना हो पाती

मन को गहरे घाव दे जाती पर

मैं असहाय सी देखती रह जाती |

कभी खुद पर बहुत क्रोध आता है

कभी अपनी कमजोरी पर तरस आ जाता है

जानने  लगी हूँ असफल रही

जीवन में आगे बढ़ने को |

पर खिली खिली ना रह पाई

रही आधी अधूरी जीवन भार सा

पर मेरे हाथ में क्या रहा

अब तक जान नहीं पाई |

यही सिखाया मुझे किसी के व्यवहार ने

अब वही गलती मेरे  हाथों से न होगी

सब से मिलजुल कर रहूंगी

किसी से बहस ना करूंगी |


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