यह ख्याल है या मलाल मन का 
जीवन का कुछ उधार है 
ना जाने क्यों खुशी आती है 
और गुम हो जाती है पल में |
पल भर की खुशी टिक कर रह नहीं पाती 
यदि आजाए किसी को सहन ना हो पाती 
मन को गहरे घाव दे जाती पर 
मैं असहाय सी देखती रह जाती |
कभी खुद पर बहुत क्रोध आता है 
कभी अपनी कमजोरी पर तरस आ जाता है 
जानने  लगी हूँ असफल रही 
जीवन में आगे बढ़ने को |
पर खिली खिली ना रह पाई 
रही आधी अधूरी जीवन भार सा 
पर मेरे हाथ में क्या रहा 
अब तक जान नहीं पाई |
यही सिखाया मुझे किसी के व्यवहार ने 
अब वही गलती मेरे  हाथों से न होगी 
सब से मिलजुल कर रहूंगी 
किसी से बहस ना करूंगी |
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