19 नवंबर, 2023

यादों का जखीरा

 

 


जहां देखा यादें बिखरी हैं

कितनी समेटी जाएं

दिमाग मैं अब जगह नहीं है

किससे करू शिकायत |

मन कहता है

 बीते कल में क्या जीना

वर्तमान में व्यस्त जीवन 

यादों को कहाँ ठहराऊं |

यदि भविष्य के लिए सहेजूँ 

मन पर भार अनुभव करू

किसी कार्य में मन ना लगे 

भविष्य को कैसे सम्हालूं |

जीवन में शान्ति लाने के लिए 

यादों में नहीं जिया जा सकता 

यदि कार्यों का जमाव हो जाएगा 

उनके पास ठहरने से 

आगे की राह कठिन होगी 

मन में असंतोष होगा |

आशा सक्सेना 

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