22 दिसंबर, 2023

प्रभु क्या चाहे

 



मेरा प्रभु  चाहे 

महक चन्दन की

खुश्बू पुष्पों की   

सुगंध  मिट्टी  की|

है ईश्वर की नियामत  

यही प्रभू चाहता  

अर्पित  की मैने

ईश्वर है भाव का भूखा

किसी वस्तु का नहीं |

है वक्त पर मददगार

बिना किसी बाध्यता के 

वह सच्ची आस्था को

जानता पहचानता है |

 लगाव हो उससे

कोई नहीं भी मांगे

अपने लिए बिना मांगे

सब प्राप्त होता है |

सच्ची आस्था  

है  आवश्यक  

उसे मनाने को

और कुछ नही चाहिए |

वह खुद ही

जान जाता है

याचक को

क्या चाहिया |

 

आशा सक्सेना

 

4 टिप्‍पणियां:

Your reply here: