23 दिसंबर, 2023

चिलमन की ओट से

 जब भी उसने झांका चिलमन की ओट से 

काली कजरारी आँखों की दृष्टि उस पर पड़ी 

नजर मिली वह  शरमाई  चेहरा सुर्ख हुआ 

देखते ही बनता था उस की मूरत को |

उसकी सूरत तो न देख पाया

 पर छाया से ही संतुष्टि कर पाया 

सुनी चूड़ियों की खनक पायलों की रुनझुन 

अपने बहुत पास तक 

पर हाथों से छू न सका  |

सोचा वह दिन कब आएगा

 जब इन्तजार होगा समाप्त 

प्रिया के हाथ उसकी बाहों में होंगे 

वह  अपने को  धनवान मानेगा |

आशा सक्सेना 


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