19 दिसंबर, 2023

यही सोचा दिल से चाहो

 


तुमने की आराधना जब मन से

वह  कृपावन्त हुआ

पर फल की आशा न की जब

अति प्रसन्न हुआ  |

जैसे किसी ने ठीक कहा 

 और मेरे मन ने यह मान लिया 

बिना  मांगे मोती मिलते

मांगे मिले न भीख |

जो सोचो सच्चे मन से चाहो  

प्रभु की नजर पड़ जाए अगर   

वह  हाथ बढ़ाना चाहे

यदि दृढ़ आस्था रही तुम्हारे मन में |

तुम मन से सच्चे रहो  

कोई कमी नहीं छोड़ी तुमने

हुई  कृपा ईश्वर की  तुम पर  

यही दिया तुम्हें खुले हाथ से उसने |

अपना हक़ न समझो इसे तुम

यदि जो मिला उस पर गर्व किया  

यही तुम्हारी भूल समझ कर 

उसने पहली गलती मान

 क्षमा किया तुमको |

कभी करना नहीं गुमान

अपनी किसी प्राप्ती पर 

तुम भी अनजाने में

 उसे याद करते हो दिल से

किसी का बुरा नहीं चाहते

यही विशेषता है तुममें |

तुम हो उसकी पहली पसंद

है वह  मोहित तुम पर

तुम्हारा व्यवहार है सब से जुदा

             हो सब से भिन्न

             सफल रहो जीवन में |

                  आशा सक्सेना 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: