19 दिसंबर, 2023

नौक झोंक


    

 

 

आया सावन का महीना

बाग़ में झूला डलवाया उसने 

अपने भैया से नीम के पेड़ पर 

लकड़ी की पटली रस्सी  मंगवाई बीकानेर से |

खूब ऊंची ऊंची पेंग भरी

 बड़ा आनंद आया झूलने में |

सहेली को लेने आए जीजा जी

वह चली ससुराल खुशी से

वह  देखती रही  राह

 अपने प्रियतम की |

आते ही उल्हाने दिए

 क्यों न याद आई उसकी 

वह  कब से राह देख रही थी 

कैसे भूले राह घर की |

 कुछ दर की नौक झोंक शिकायतें 

फिर मेल मिलाप हुआ धीरे से 

वह जल्दी से तैयार हुई 

अपनी ससुराल जाने के लिए |

आशा सक्सेना 


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