09 जनवरी, 2024

आत्म विश्वास

 


कहाँ से आए हो  इतनी देर से क्यों 

 मैंने तो  सोच लिया था

मुझे तुम भूल गए होंगे अब तक

किसी और से नेह लगा बैठे |

अपने मन में कोई अच्छे

ख्याल क्यों ना आए

मन चिंता से भरा रहा

किसी ने समझाया क्यों नहीं |

हर समय आशंका से घिरे रहना यह ठीक नहीं

मुझे भय क्यों रहता  है तुमसे बिछुड़ने का  

जब  मुझ में कोई कमी नहीं

फिर  दूसरों पर भरोसा क्यों नहीं मुझको |

अपने मन पर नियंत्रण कैसे रखूँ

कैसे मन को  समझाऊँ शंकाओं से दूर रहूँ

जब मुझमें कोई कमीं नहीं वह

मुझसे  दूर न रह पाएगा |

अपने आत्म विश्वास से मुझे कैसे डिगा पाएगा

मैं सीता सी पवित्र  हूँ सीता ही रहूँगी

राम से कोई मुझे अलग न कर पाएगा

चाहे कितने भी प्रपंच किये जाएं|

आशा सक्सेना

 

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