कहाँ से आए हो इतनी देर से क्यों
 मैंने तो  सोच लिया था 
मुझे तुम भूल गए होंगे अब तक
किसी और से नेह लगा बैठे |
अपने मन में कोई अच्छे 
ख्याल क्यों ना आए 
मन चिंता से भरा रहा 
किसी ने समझाया क्यों नहीं |
हर समय आशंका से घिरे रहना यह ठीक नहीं 
मुझे भय क्यों रहता  है तुमसे बिछुड़ने
का  
जब  मुझ में कोई कमी नहीं 
फिर  दूसरों पर भरोसा क्यों नहीं मुझको
|
अपने मन पर नियंत्रण कैसे रखूँ 
कैसे मन को  समझाऊँ शंकाओं से दूर रहूँ
जब मुझमें कोई कमीं नहीं वह 
मुझसे  दूर न रह पाएगा |
अपने आत्म विश्वास से मुझे कैसे डिगा पाएगा 
मैं सीता सी पवित्र  हूँ सीता ही रहूँगी
राम से कोई मुझे अलग न कर पाएगा 
चाहे कितने भी प्रपंच किये जाएं|
आशा सक्सेना 
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद स्मिता
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