महिमा श्री  राम की 
प्रभु  राम बसे मेरे मन में 
यह पहले एहसास न हुआ था  
 जीवन में  गति आते ही 
प्रत्यक्ष दर्शन किये राम के |
पहले कोई आस्था न थी धर्म पर  
ना थी श्रद्धा विशेष किसी धर्म पर 
जैसे ही माया मोह  में लिप्त  हुए
 जान गए कैसे झंझटों से मुक्ति हो |
 धर्म पर आस्था की महिमा जानी  
दसियों जगह घूमें भटके
मन की  शान्ति की खोज में 
समस्याओं के निदान के लिए |
 पर कोई हल न मिला  
तब अपने मन में राम को खोजा | 
 पा कर राम को वहां  
 शान्ति का अनुभव किया 
 अब चारो ओर  मुझे
 दिखाई देते श्री  राम |
आशा सक्सेना 
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद स्मिता
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