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चमक दमक से भरी है 
जिन्दगी है आज की 
लोग जीते हैं आधुनिक जीवन 
अंतर से खोखले रह गए | 
हम भी रहे इसी श्रेणी में 
जाने कैसे दोहरा जीवन जीने लगे 
अमुभव न कर पाए |
एक दिन जब झटका लगा 
गिरे जमीन पर 
झटके को महसूस किया 
भरी आँखों से देखा
आसपास कोई न था सहारे के लिए |
अपने को बहुत असहाय पाया 
जान लिया कहाँ जी रहे थे 
किसी से सहारे की 
कोई आशा न देख 
कोई आशा न थी 
अश्रु जल बह्चला बेग से |
आशा सक्सेना
से भरी है 
जिन्दगी है आज की 
लोग जीते हैं आधुनिक जीवन 
अंतर से खोखले रह गए | 
हम भी रहे इसी श्रेणी में 
जाने कैसे दोहरा जीवन जीने लगे 
अमुभव न कर पाए |
एक दिन जब झटका लगा 
गिरे जमीन पर 
झटके को महसूस किया 
भरी आँखों से देखा
आसपास कोई न था सहारे के लिए |
अपने को बहुत असहाय पाया 
जान लिया कहाँ जी रहे थे 
किसी से सहारे की 
कोई आशा न देख 
कोई आशा न थी 
अश्रु जल बह्चला बेग से |
आशा सक्सेना
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
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