04 अक्टूबर, 2013
01 अक्टूबर, 2013
छेड़छाड़ शब्दों से
की शब्दों से छेड़छाड़ 
अर्थ का अनर्थ हुआ 
सार्थक सोच न उभरा 
सभी कुछ बदल गया |
क्या सोचा क्या हो गया 
प्यार ने भी मुंह मोड़ा 
गुत्थी सुलझ न पाई 
अधिक ही उलझ गयी |
हेराफेरी नटखट शब्दों की 
बनती बात बिगाड़ गयी 
अलगाव बढ़ता गया 
उलझनें बढ़ा गयी |
यह न सोचा था उसने 
इस हद तक बात बढ़ेगी 
जिसका प्रभाव भूकंप सा 
इतना तीव्र होगा 
वह एकाकी उदास 
खँडहर सा रह जाएगा |
है मनोकामना
है मनोकामना
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा
हर उस पल को जीने की
जब होते थे साथ
कोई तीसरा नहीं
एक अजीब सा अहसास
अब मेरा पीछा करता
ले आता समक्ष तेरे
और हो जाती
मग्न तुझमें |
मुस्कान तेरी
बनती बैसाखी
मेरे अंतर मन की
मैं खो जाती तुझ में
और तेरी यादों में
बीते पलों के वादों में|
भर जाती स्फूर्ति से
होती व्यस्त वर्तमान में
ओढे गए कर्तव्यों में |
आशा
29 सितंबर, 2013
टीस
शीशा टूटा 
किरच किरच बिखरा 
हादसा ऐसा हुआ 
तन मन घायल कर गया 
तन के घाव भरने लगे 
समय के साथ सुधरने लगे 
मन के घावों का क्या करे 
जिनका कोई इलाज नहीं 
यूं तो कहा जाता है 
समय के साथ हर जख्म 
स्वयं भरता जाता है 
खून का रिसाव थम जाता है 
पर आज जब जीवन की
 शाम उतर
आई है 
सब यथावत चल रहा है 
पर उन जख्मों में 
कोई 
परिवर्तन नहीं
 रह रह कर
टीस उभरती है
बेचैनी बढ़ती जाती है 
उदासी घिरती जाती है | 
27 सितंबर, 2013
23 सितंबर, 2013
क्या करे
अपने आप में सिमटना
अंतर्मुखी होना 
अब क्यूं खलता है 
क्या यह कोई  कमीं है 
पहले कहा जाता था 
मुखर होना शोभा नहीं देता 
चेहरे का नूर हर लेता 
धीरे चलो धीरे बोलो 
 लड़कियों के ढंग सीखो 
बहुत कठिन था 
अपने में परिवर्तन करना 
तब अनवरत प्रयास  किये 
अपना अस्तित्व ही मिटा दिया 
नियमों पर खरा उतरने में 
अब तसवीर बदल गयी है 
कहा जाता है 
कभी घर से तो निकलो 
मिलो जुलो सर्कल बनाओ 
पर उलझ कर रह गयी है  
दो तरह के नियमों में 
पहले थी बाली उमर
खुद को बदलना संभव हुआ 
पर अब अपना है सोच  
जीने का एक तरीका है 
कैसे परिवर्तन हो 
समझ नहीं पाती 
सोचते सोचते 
अधिक ही थक जाती है 
कोइ हल नजर नहीं आता |
आशा 
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