भावनाओं  का सैलाव
 कहाँ ले जाएगा 
भेद अपने पराए में
 कर न पाएगा |
प्यार के सरोवर में
 तैरेगा कैसे 
किनारा है बहुत दूर
 पहुँच न पाएगा |
ये ही मन  
 अस्थिर करती हैं
कोइ नियंत्रण
नहीं इन पर |
बेचैन मन कब तक
दे साथ इनका 
कहीं उलझ  न जाए
शिकारी के जाल में|
वह तो घात लगाए
बैठा होगा
जाने कब कोइ फँस जाए
उसके जाल में |
है कठिन
 नियंत्रण उन पर 
पर सावधानी भी
 तो जरूरी है |
जब तैरना नहीं आता
क्या फ़ायदा
सरोबर में उतरने का
ज़रा सी भूल में 
जीवन शेष हो जाएगा |
आशा |