पेड़ों से छन कर आती धूप
बड़ी सुहानी लगती 
प्रातः सूर्य दर्शन का 
अनोखा अंदाज देती  |
वीथियों पर चलते चलते 
नए नए अनुभव होते 
जब विहग व्योम में उड़ाते
मधुर संगीत मन में भरते |
महावरी कदम जब
श्वेत  पुष्पों पर पड़ते 
उनसे लुका छिपी करते 
छलकता यौवन मन हरता |
ओस से नहाया वदन 
उस धूप छाँव में
 अधिक
ही  दमकता 
मन में बसता |
पायल की रुनझुन 
घुंघरुओं की मधुर धुन 
ज्यों ही सुनाई देती 
मन में कई रंग भरती |
हाथ बढा उसे छूना चाहता 
पर पहुँच से बहुत दूर 
थी वह एक छलना 
कवि की केवल कल्पना |
आशा 


