सागर गहरा 
अतुलित संपदा 
कैसे कोई उसे
आंके 
उसकी गहराई में
झांके |
समुद्र में सीपी 
सीपी में मोती
जो दमकता पानी  से 
बिना उसके कुछ भी
नहीं |
खेला खाया जीवन
जिया 
पर पानी की कीमत
ना जानी 
उसके उतर जाने से
कुछ भी हांसिल ना
हुआ |
सब यही छूट जाना
है
पानी उतर जाने से
नाम तक गुम जाना
है
उलझे सोच का  बहाना है |
महत्त्व उसका जब
से जाना 
सम्हाला जतन से 
उसे 
बचपन में कभी याद
किया था 
बिन पानी सब सून |
 
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
चाहती नहीं 
बैसाखी तेरी साथ 
नारी आज की |
चमकी धूप 
चटकती कलियाँ 
भ्रमर मुग्ध |
भोर का तारा 
चमकता सितारा 
प्यार जताता  |
हिन्दी महिमा 
देश  की है गरिमा 
गर्व है हमें |
आंधी में उडी 
अरमानों की धुल 
छलके नैन  |
हार श्रृंगार 
तुम्ही से प्रियतम 
भुलाऊँ कैसे |
प्रकृति नटी 
है धानी परिधान 
मन में बसी |
नहीं अंजान
क्या होना है अंजाम 
इस प्यार का |
आशा
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
तितली कितनी सुन्दर:-
रूप चुराया
पुष्पों की रंगीनी से
ओरी तितली
उड़ना सीख लिया
 उड़ते परिंदों से |
प्यार जताना 
कब किससे सीखा 
नहीं बताया 
है भौंरे की सलाह 
या रंग आसमाँ का |
लगती प्यारी
यहाँ वहां उड़ती
पुष्प चूमती
आत्मसात करती  
अनुपम लगती |
 आशा
 
 
 
 
            
        
          
        
          
        
सागर तरंगित 
उर्मियों के उन्माद से 
होती हलचल 
पूनम के प्रभाव से 
ऊपर हलचल 
अंतस में ठहराव 
अनुपम है |
सैलाव भावनाओं का 
तरंगित उर्मियों सा 
उन्मुक्त विचार 
कहीं नहीं टकराव 
अदभुद  है |
तटबंध नहीं टूटते 
जब भी रौद्र रूप अपनाए 
वही भाव प्रगट होते 
बिना किसी परिवर्तन के 
अंतर मन के मंथन से 
अपेक्षित है |
जाने अनजाने 
अनवरत दृष्टिगत होते 
रंग भरे केनवास पर 
दर्शाते मन की झलक 
कभी मौन हो जाते 
हलचल विहीन सागर से 
यही सत्य है |
आशा