28 फ़रवरी, 2015
25 फ़रवरी, 2015
पराकाष्ठा
यमुना तीरे कदम तले
राधा का रूठना
कान्हां का निहोरे करना
कितना रमणीय होता
प्रेम और भक्ति का मिलना
ना कोई छल ना कपट
ना ही दिखावा
कहीं से कहीं तक
केवल सत्य की पराकाष्टा
समस्त सचराचर में
रूठना कोई दिखावा नहीं
थी मन की अभिव्यक्ति
मनमोहन का मनाना
प्रेम की थी परणीति
आत्मा से आत्मा का
अभिनव मिलन है प्रेम
उद्दात्त भाव की अनुपम
मिसाल इहलोक में
है आत्मिक झलक
भक्ति की शक्ति की
प्रेम की अभिव्यक्ति की |
आशा
राधा का रूठना
कान्हां का निहोरे करना
कितना रमणीय होता
प्रेम और भक्ति का मिलना
ना कोई छल ना कपट
ना ही दिखावा
कहीं से कहीं तक
केवल सत्य की पराकाष्टा
समस्त सचराचर में
रूठना कोई दिखावा नहीं
थी मन की अभिव्यक्ति
मनमोहन का मनाना
प्रेम की थी परणीति
आत्मा से आत्मा का
अभिनव मिलन है प्रेम
उद्दात्त भाव की अनुपम
मिसाल इहलोक में
है आत्मिक झलक
भक्ति की शक्ति की
प्रेम की अभिव्यक्ति की |
आशा
24 फ़रवरी, 2015
21 फ़रवरी, 2015
अधर में अटका
फिर उम्मीदेवफ़ा
है कैसी फ़ितरत
या रव की रज़ा
अधर में ही लटक गया
न राम मिला
न रहीम मिला
केवल दिखावा था
या भावना अंतस की
आज तक जान नहीं पाया
ऊपर से बदनामी का साया
प्यार के नाम पर
आवारगी का ताज मिला
मन मसोस कर रह गया
उस राह पर चल कर
दिल छलनी हुआ
और कुछ न मिला
मिली गति त्रिशंकू की
आसमान से गिरा
खजूर में अटका |
मिली गति त्रिशंकू की
आसमान से गिरा
खजूर में अटका |
आशा
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17 फ़रवरी, 2015
14 फ़रवरी, 2015
13 फ़रवरी, 2015
हाईकू
दात्री ऊर्जा की
किरण आदित्य की
जीवंत जग |
स्त्रोत ऊर्जा का
अक्षय ही रहता
सृष्टि चलाता |
सूरज चन्दा
बंधे एक डोर से
नियामक की |
बंधन बड़ा
हर कण कण में
सूर्य ऊर्जा से |
आशा
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