25 जून, 2019
24 जून, 2019
पैगाम
आया है पैगाम
मन का मोर नाच रहा
चंग की थाप पर
जिन्दगी चैन से गुजरेगी
गिले शिकवे दूर होंगे
प्यार की शहनाई बजेगी
हर समय हर बात पर
यह पैगाम नहीं
है आवाज सच्चे दिल की
जिससे भागना सही नहीं
अपने मन की आवाज पर
जोर दे करना है स्वीकार
उस पैगाम की भाषा पर
एलान करना है अमल करना है
केवल व्यर्थ यूँ ही नहीं
बेमतलब शोर करना है
तभी अमन का विगुल बजेगा
सन्देश का मकसद
सफल हो कर रहेगा |
आशा
23 जून, 2019
दिल मेरा
दिल  तो है विशाल 
बहुत कुछ समा सकता है इसमें 
तुम पढ़ते पढ़ते थक जाओगे 
मेरे भीतर मिलेगा तुम्हें 
एक अखवार मोहब्बत का
जिसमें छपा होगा कोई पैगाम 
जब भी उसे  पढ़ोगे
छलकेंगे नयन तुम्हारे 
फिर भी उसे न खोज पाओगे 
है वहां छिपी एक ऎसी पहेली 
ना ही उसे समझ  पाओगे 
ना ही हल कर पार्ओगे 
मन है ही एक उलझनों का अखवार 
जितना सोचोगे विचारोगे  
 उलझन के चक्र व्यूह में 
  उलझते ही चले जाओगे |
आशा 
वरण नए चोले का
एक दिन वह सो गया 
लोगों ने कहा वह मर गया
मृत्यु का वरण किया
और अमर हो गया
पर सच यह नहीं क्या ?
आत्मा ने घर छोड़ा
वस्त्र बदले मोह त्यागा
नया चोला धारण किया
नवीन गृह प्रवेश किया
अनादी अनंत आत्मा
कभी मृत नहीं होती
बारबार वस्त्र बदलती
नया चोला धारण करती
अनंत में विचरण करती
जब मन होता उसका
गोद किसी की भरती
कोई घर आबाद करती
लोगों ने कहा वह मर गया
मृत्यु का वरण किया
और अमर हो गया
पर सच यह नहीं क्या ?
आत्मा ने घर छोड़ा
वस्त्र बदले मोह त्यागा
नया चोला धारण किया
नवीन गृह प्रवेश किया
अनादी अनंत आत्मा
कभी मृत नहीं होती
बारबार वस्त्र बदलती
नया चोला धारण करती
अनंत में विचरण करती
जब मन होता उसका
गोद किसी की भरती
कोई घर आबाद करती
आशा
18 जून, 2019
पालकी
जन्म से ही
शिशु को मिली पालकी
शिशु को मिली पालकी
पहला पालना मिला 
माँ की गोद का
माँ की गोद का
दूसरा अपने वालों का
फिर आए दिन
नित नई बाहों में खेल
नित नई बाहों में खेल
बचपन बिताया
जी भर खेल कर
जी भर खेल कर
जवानी जब आई झांकती 
 माँ
को चिंता हुई
बेटी की बिदाई की
बेटी की बिदाई की
जब वर आया  
घोड़ी पर चढ़ कर
घोड़ी पर चढ़ कर
 धूमधाम से बिदाई हुई
पालकी में बैठ कर
पालकी में बैठ कर
तब भी चार कन्धों पर की सवारी 
पालकी में हो कर सवार
चली ससुराल अपनी
चली ससुराल अपनी
जीवन सहजता से 
सरलता से बीत गया
सरलता से बीत गया
धर्म कर्म में भी
दिया सहारा पालकी ने
कियेअधिकाँश देव दर्शन
इसी पालकी में बैठ
दिया सहारा पालकी ने
कियेअधिकाँश देव दर्शन
इसी पालकी में बैठ
अब आया समय
संसार से विदाई का
छोड़ कर यह देह
आत्मा ने ली बिदाई
संसार से विदाई का
छोड़ कर यह देह
आत्मा ने ली बिदाई
चार कन्धों पर  की सवारी
 अर्थी पर हो कर सवार चली 
 अच्छाई बुराई भलाई 
के सारे कर्म
के सारे कर्म
 साथ ले चली अपने 
हर जगह महत्व
देख पालकी का
देख पालकी का
मन ही मन किया  नमन 
उन सब भागीदारों को
उन सब भागीदारों को
पालकी उठाने वालों को |
आशा 
12 जून, 2019
इंसानियत के ह्रास पर
 कितने ही -भाषण सुन   कर 
प्रातः काल नींद से जागते ही 
मन का सुकून खो जाता है
अखवार में अधिकाँश
कॉलम भरे होते है
कॉलम भरे होते है
आपत्ति जनक समाचारों से 
मानावता शर्मसार हुई है 
मानव के अवमूल्यन से
दरिंदगी से भरी हुई हैं 
आधी से अधिक घटनाएं
समाज में इतना विधटन होगा 
कभी कल्पना नहीं थी
सारी मान्यताएं खोखली हो रहीं   
 आधुनिकता की भेट चढ़ती  रहीं   
कुछ कहने पर कहा जाता 
है यह सोच का ढंग पुराना 
आज के बच्चे यह सब नहीं मानते 
पर हम तो इतना जानते हैं 
जब भी किसी अवला की 
 चुन्नी तार तार हुई है 
किसी अबोध के संग दुराचार हुआ है
उसे मार कर फैका गया है
किसी अबोध के संग दुराचार हुआ है
उसे मार कर फैका गया है
निगाहें शर्मसार हुई हैं 
मन में पीड़ा होती है
दरिंदगी की हद होती है
मन में पीड़ा होती है
दरिंदगी की हद होती है
इंसानियत दम तोड़ रही है 
आधुनिकता को कोस रही है |
आशा 
11 जून, 2019
परचम
उठो चलो आगे बढ़ो 
                                                               थामों हाथ ऐसे लोगों का जो हमसफर हों हमराही हों
मनोबल पर नियंत्रण रखो
कभी भूल से भी डिगने न पाए
तभी पहुँच पाओगे लक्ष तक
ऊंचाई की आखीरी पायदान पर
स्वर्ग में विचरण का अनुभव करोगे
 वहां पहुँचना कठिन तो है पर असंभव नहीं 
हर यत्न सफलता में बदलो
फिर परचम लहराओ पूरे आत्म विश्वास से
करो सपने पूर्ण अपने और अपनों के
है यही कामना का धन जो सजोया है
अपने मन के आँगन में |
आशा
हर यत्न सफलता में बदलो
फिर परचम लहराओ पूरे आत्म विश्वास से
करो सपने पूर्ण अपने और अपनों के
है यही कामना का धन जो सजोया है
अपने मन के आँगन में |
आशा
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