जब काली घटाएं  छाईं आसमान में 
बादल गरजे बिजली कड़की 
बारिश की बूंदों ने की  अमृत की वर्षा  
बदले मौसम  में धरा ने ली अंगड़ाई  |
चहु ओर छाई हरियाली खेतों में 
हुआ मन विभोर इस  अनुपम छटा को  देख 
इसी मनोरम दृश्य को देख  
आत्मसात करने की इच्छा हुई बलवती |
गर्म मौसम की तल्खी  हुई कम 
ठण्डी बयार बह चली जिस ओर 
नन्हीं नन्हीं बूंदों ने किया सराबोर 
घर आँगन खेतों को हो कर विभोर |
 तरसी निगाहें इसे आत्मसात करने को 
प्रकृति की अनमोल छवि मन में उतारने को 
मनोभाव मन में दबा न सकी 
कागज़ पर कलम भी खूब चली |
आशा 




