किसी को सारा आसमाँ नहीं मिलता
कितने भी यत्न कर लो सारा जहां नहीं मिलता
है यह नसीब का खेल या विधान विधाता का
जितना चाहो जब चाहो नहीं मिलता |
बहुत प्रयत्न करने पड़ते हैं
उस ऊंचाई तक पहुँचने के लिए
अधिकतर असफलता ही हाथ आती है
तब ही सफलता झांकती है कायनात के किसी झरोखे से |
यह तो नियति का है फैसला जिसे चाहे नवाजे
खुशकिस्मत है वह जो इस ऊंचाई तक पहुंचे
संजोग से या प्रयत्नों से यह तो बता नहीं पात़ा
प्रसाद पा प्रसन्न होता उन्नत होता भाल गर्व से |
आशा