हर रात कुछ नया दिखता
कौन है जिम्मेदार उसका 
हम तुम के झंझट में 
 बातों का अखाड़ा दिखता |
किसी ने दो बोल मीठे तो बोले होते 
हम निहाल हो जाते उस पर 
कभी ना उलझने की कसम खाते 
प्यार से रहने का वादा करते |
सपने दिन में ना आते 
आधी रात में ना जागते 
चोंक कर ना उठते 
शांती से सोते जागते |
एक कल्पना यही की होती 
तुम हो मेरे पास जज्बातों से भरी
यही है मेरे मन में 
यहीं कहीं तो तुम हो मेरे पास  |
