बरसाने की कुवरि राधिका
आईं जमुना तीर राधिका
कई रंगों से खेली होली
राधा रमन के संग
भक्तों के संग कई मार्गों पर खुद को |
खुद को पूरी तरह फूलों मैं उलझी
हुई सफती भक्ति में
आशा सक्सेना
बरसाने की कुवरि राधिका
आईं जमुना तीर राधिका
कई रंगों से खेली होली
राधा रमन के संग
भक्तों के संग कई मार्गों पर खुद को |
खुद को पूरी तरह फूलों मैं उलझी
हुई सफती भक्ति में
आशा सक्सेना
आज मेरे सपनों नें
तुम्हें  देखा सुबह ही 
बहुत से विचारों में 
 खो गई  तुम्हारे बचपन की यादों में   |
दिए बिना बचपन की यादें
तुम कब बड़ी होईं
समय कब बीता
मुझे चिंता सी हो गई
 कल उसको भी बहुत उदास देखा   
और बहुत दिखी कमजोर सी
मुझे लगा बहुत खाली घर
याद आई तुम्हारी बचपने की
खाली घर बिना बच्चों के
कितना खाली तुम्हारे बिना |
प्रभू से की प्रार्थना दिल पूरे मन से
ईश्वर करे तुम्हें मेरी भी
उम्र लग जाए
हर वर्ष ऐसे ही
जन्म दिन तुम्हरा मनाएं |
आशा सक्सेना
हाँ वहां आसपास चारो ओर
 वातावरण हुआ राम मय 
दिन में राम रात को राम  
 सोते जागते राम सपनों में राम
राम में खो गई और न दीखता कोई |
माया छुटी मोह से हुई दूर
 केवल ममता रही शेष  
वह भी होने लगी दूर मुझ से 
अपने आपमें रमती गई 
दुनियादारी से हुई दूर 
केवल राम के रंग में रंगी | 
जब दुनिया कहे भला बुरा मुझे  
इसका कोई प्रभाव नहीं होता  
मुझे एक ही चिंता बनी रहती केवल 
राम से दूरी न होय |
जागूं तो राम मिले
सोते में विचार मन में राम का होय
जब देखूं सारे दिन आसपास 
राम राम दिखता रहे 
सारा जग राम मय हो जाए |
आ राम मय