हाँ वहां आसपास चारो ओर
 वातावरण हुआ राम मय 
दिन में राम रात को राम  
 सोते जागते राम सपनों में राम
राम में खो गई और न दीखता कोई |
माया छुटी मोह से हुई दूर
 केवल ममता रही शेष  
वह भी होने लगी दूर मुझ से 
अपने आपमें रमती गई 
दुनियादारी से हुई दूर 
केवल राम के रंग में रंगी | 
जब दुनिया कहे भला बुरा मुझे  
इसका कोई प्रभाव नहीं होता  
मुझे एक ही चिंता बनी रहती केवल 
राम से दूरी न होय |
जागूं तो राम मिले
सोते में विचार मन में राम का होय
जब देखूं सारे दिन आसपास 
राम राम दिखता रहे 
सारा जग राम मय हो जाए |
आ राम मय 
आशा सक्सेना 
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