रात भर सोया चैन से
सुबह ओस से नहाया
हुआ मुग्ध अपने रूप रंग पर|
हुआ जब समय डाल से बिछुड़ने का
माली ने सजाया सवारा
मेरे श्वेत लाल पुष्प गुच्छों को
प्यार से दुलराया फिर विदा किया |
अब मिला स्थान मुझे
गुलदस्ते के एक कौने में
जो गया एक हाथ से दूसरे में
पर मुझे सराहना कोई न भूला
महिमाँ मंडन खूब हुआ मेरा
गर्व हुआ अपने आप पर |
कड़ी धुप सहन की फिर भी न मुरझाया
किया सूर्य किरणों से मुकाबला
बचने में खुद को सक्षम पाया
मेरा मन बल्लियों उछला |
मैंने माली का धन्यवाद किया
जिसने प्यार से पाला पोसा
मुझे सक्षम बनाया
अपने पैरों पर खड़ा किया |
मुझे यहीं जीने का
सच्चा आनन्द मिला
अपनी क्षमता जान सका
खुद को पहचान सका |
जब देखा शहीदों की अर्थी पर सजा खुद को
मन में देश भक्ति जाग्रत हुई
मेरा सही उपयोग देख
मुझे फिर से बहुत गर्व हुआ |
आशा