28 अक्तूबर, 2023

कोशिश हमारी

 जब साथ चले हम कदम हुए 

पर हम साया कभी न बन पाए 

अधिक दूर न चल पाए 

मन को खुशी ना मिल पाई |

यही रही अधूरी मन में बात 

कोशिश की हम ख्याल होने की 

उसमें भी सफल ना हो पाए 

कभी सोच नही पाए उसी की तरह |

हर बार अलग सब से नजर आए 

क्या कभी किसी के हमराज हो पाएंगे 

अपने को किसी से बांधेंगे 

उसके अनुरूप चल पाएँगे |

बार बार दिल को टीस सहने की 

आदत हो जाएगी 

पर इससे कैसे बचेंगे 

हमारी सारी कोशिश व्यर्थ हो जाएगी |

आशा सक्सेना 

27 अक्तूबर, 2023

उसने की भूल

 

उसने की भूल यही 

उसने कोई गलत कार्य नहीं किया

यह सोचा नहीं किसी ने बताया भी

पर गंभीरता से विचार नहीं किया

उन लोगों ने  भी उससे किनारा किया |

जब घर पर डाट पड़ी सब ने डराया

उसे  अपनी गलती का अहसास हुआ

क्षमा मांगी  सब से बार बार

यह किसकी गलती है खोजा नहीं |

आज तक अपनी भूल पर कायम रही

उसी कार्य  पर अडिग रही

सब का समझाना व्यर्थ गया

जब उनका कहा नहीं माना

आगे से अब भूल नहीं होगी |

क्या हुआ जब तुमसे दूर हुआ

क्या हुआ जब तुमसे दूर हुआ 

तुमसे पूंछा नही मन मेरा माना नहीं 

अब तक कोई निराकरण ना निकल पाया 

उसकी प्रतीक्षा रही हर पल |

यही कठिन समय दिखाई दिया 

अब समस्या हल हो कैसे 

मन बहुत पछताता है 

पास आते आते हल जब दूर हो जाता है |

अब तक हल है मुझसे दूर 

कभी पास आएगा या नहीं मुझे मालूम नहीं 

पर बिना हल खोजे कहीं भी चैन नहीं 

यही चैन मुझे जब मिल जाएगा 

मुझे सुकून आ जाएगा |

आशा सक्सेना 

26 अक्तूबर, 2023

हाइकु

 

 

१-वर्षा आई है

बहार बरसाई

मौसम ने

२-किसने कहा

 आत्म शक्ति नहीं है

मेरे भीतर 

 ३-यादतुम्हारी

जब मन को आई

मन खुश  था

४-कविता छुए 

मन की गहराई 

उसके भाव 

5-बचपन है 

अनमोल तुम्हारा 

बीते यादों में 


आशा सक्सेना 



24 अक्तूबर, 2023

दशानन कितने प्रभाव हर शीश में

 कहने को दसशीस से सजा है दशानन 

पर यह तो कभी देखा नहीं 

अन्दर क्या है 

हमने तो पढ़ा है उसके 

पांच शीश सुन्दर विचारों से भरे 

पर बाक़ी बचे बुराइयों में डूबे 

उनका ही संहार किया जाता हर वर्ष 

यही कहा जाता 

बुराइयों का वध होता हर वर्ष 

खुशियों  की  होती बढ़त  

बुराइयों के ऊपर  |

यही कारण है हर वर्ष दशहरा मनाने का 

खुशियों से बुराइयों  को हारने का |

सभी बहुत सजधज कर आते 

सब से मिलते जुलते सोना पत्ती देते 

राम की सवारी आती पूजन अर्चन उनका  होता 

रावण दहन करते मन को सुकून मिलता |

आशा सक्सेना 



23 अक्तूबर, 2023

आज भुवन भास्कर

 

आज भुवन भास्कर

सुबह  से है उत्साहित   

सजाया सप्त अश्वों से रथ,

 आसीन हो  उस पर चले

दसों दिशाओं में  भ्रमण किया

वही दिखा पूरा नजारा प्रकृति का

हरे भरे वृक्षों के सारे पत्ते

 नहाए लहराए रश्मियों से

उनकी खुशी झलकी

उन पर पड़े हरे सुनहरे रंग से |

आसमान में उड़ते परिंदे

गीत गा दर्शाते अपनी खुशी

दादुर मोर पपीहा बोले

 अपनी खुशी दर्शाई

उनकी खुशी में शामिल हुए

प्रकृति जीवंत हो गई

 उन सब के चहकने से |

आशा सक्सेना 





बाँसुरी कान्हां की

 

काली कमली पहन पीली कछोटीकमर में बांधी 

हाथ में बांस की बाँसुरिया जब बजाते कान्हां

गाँव की ग्वालिन दौड़ी चली आतीं

हाथों का काम छोड़

राधा रानी राह देखतीं जमुना के तट पर 

कुंजन में कान्हां के इन्तजार में

सब ने एक साथ नृत्य किया

पूरे दिल से रमें उसमें

फिर से जब न्रत्य बंद होता

सब लौटते अपने घरों को  |

 पर राधा को बहुत ईर्ष्या हुई

कान्हां की बासुरी से

उसे अपनी सौतन ठहराया

अपनी नाराजगी दर्शाई 

मीठी मुस्कान लिये कान्हा ने 

राधा की बांह पकड कहा बहुत प्यार से 

 तुम ही तो मेरी शक्ति हो 

यह बॉसुरी सात  सुरों की प्रतिछाया

मै तुम बिन हूँ अधूरा 

तभी तो तुम्हारा नाम  

मेरे नाम के पहले लिया जाता |

आशा सक्सेना