07 जुलाई, 2015

सत्य आज की दुनिया का


अपाहिज एक बोझ के लिए चित्र परिणाम
 आज जानी सच्चाई जिन्दगी तेरी
सुख में सभी साथ थे
अब कोई नहीं
स्वस्थ थी तब घर सारा
मेरा हुआ करता था
गिले शिकवे न थे
ना शिकायतों का
 अम्बार रहा करता था
आज स्पष्ट हर बात
दर्पण में दिखाई  दे रही
अधिकार जीने का
अक्षम को  नहीं
जीवन जीना सरल नहीं
दुनिया है झूठे स्वप्नों की
सत्य बहुत कटु होता है
जीवन में प्यार नहीं
केवल समझोता होता है
है मतलब की सारी दुनिया 

काम होता सब को प्यारा 
अक्षम नहीं किसी काम का
सच्चाई समक्ष है आज
लम्बी बीमारी सहन न होती
आईने में अक्स दिखाती
दो चार दिन सब सहते
फिर किनारा करने लगते
आइना सच ही कहता
अपना ही बिम्ब
 पहचाना न जाता
अक्षमता का बोध कराता |

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