१-कहीं जाने में 
बुराई क्या हुई है 
जान न पाई 
२-कितनी बाधा 
रोकटोक सब की 
मैं क्या सोचती
३- रहूँ सतर्क
किसी पर विश्वास 
रखूँ न रखूँ 
४-वो एक दिन 
हो जाएगी समाप्त
 मृत्यु के साथ  
५- काला कागला 
बैठ कर छत पे 
किसे बुलाता 
६-कोयल काली 
मधुर कंठ वाली 
मन रिझाती 
७-मेरा है गीत  
लगता प्यारा मुझे 
 सुनो 
न सुनो   
आशा 
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21-02-2022 ) को 'सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं' (चर्चा अंक 4347) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सुप्रभात
हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए
सुन्दर हाइकु ! दूसरे हाइकु की अंतिम पंक्ति देख लें !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत हाइकु!
जवाब देंहटाएंThanks for the comment ji
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