08 मार्च, 2022

बीती यादों में जब भी झाकोंगे


 

विगत में जब झांकोगे

स्वप्न सा गुजरेगा बीता कल

दृष्टि पटल के सामने से

पर ठहरेगा नहीं गति चाहे हो धीमीं |

जन्म जन्म का साथ है निभाने को

तुम भूल न जाना मुझे

मेरी भूली बिसरी यादों को

बिताए हुए उन सुखद पलों को |

जब भी बीते कल से गुजरोगे

मुझे नहीं भूल पाओगे

यही है संचित धन मेरा

उससे बच कर कैसे जाओगे |

 बीता पल मेरे दिल में

 बसा इतना गहरा  

कि उसका ओर छोर

 नजर नहीं आता |

पैर जमाए खडा धरती पर

  वजूद उसका  हिलने का

नाम ही  नहीं लेता   |

जब भी मन बीती यादों  की

गलियों  से गुजरता  

मन वहां रुकने का होता

                 दो क्षण ठहर ने के लिए  |                 पर मन है कि मानता नहीं 

वहीं जाना चाहता है

माया मोह को छोड़

तुमसे वही  बंधन बाँधने को |

आशा

1 टिप्पणी:

  1. वाह । बहुत सुंदर रचना । कोमल अनुभूतियों की सार्थक प्रस्तुति ।

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