विगत में जब झांकोगे
स्वप्न सा गुजरेगा बीता कल
दृष्टि पटल के सामने से
पर ठहरेगा नहीं गति चाहे हो
धीमीं |
जन्म जन्म का साथ है निभाने
को
तुम भूल न जाना मुझे
मेरी भूली बिसरी यादों को
बिताए हुए उन सुखद पलों को
|
जब भी बीते कल से गुजरोगे
मुझे नहीं भूल पाओगे
यही है संचित धन मेरा
उससे बच कर कैसे जाओगे |
बीता पल मेरे दिल में
बसा इतना गहरा
कि उसका ओर छोर
नजर नहीं आता |
पैर जमाए खडा धरती पर
वजूद उसका
हिलने का
नाम ही नहीं लेता |
जब भी मन बीती यादों की
गलियों से गुजरता
मन वहां रुकने का होता
दो क्षण ठहर ने के लिए | पर मन है कि मानता नहीं
वहीं जाना चाहता है
माया मोह को छोड़
तुमसे वही बंधन बाँधने को |
आशा
वाह । बहुत सुंदर रचना । कोमल अनुभूतियों की सार्थक प्रस्तुति ।
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