16 दिसंबर, 2023

आखिर कब तक राह देखते

 उसने वादा किया थाऔर न लौटा 

 मुझे धोखा दिया 

कहाँ खोजूं कहाँ जाऊं 

उसको खोजने  के लिए |

उसने जो पता बताया था

 फोन नम्बर दिया था 

वे दौनों  तो झूटे निकले  |

वहां जाकर पूंछा लोगों से

 कोई बता न पाया 

मन बहुत  बोझिल हुआ 

फिर खोजने का मन नहा |

जब गंभीरता से सोचा 

अपने से प्रश्न किया 

उसे ही हल करना चाहा 

तब असलियत जान पाया |

कितनों को गुमराह किया था उसने 

 |जाने कितनों को गुमराह किया था उसने 

उसका सच कोई नहीं जान पाता था |

सभी को गुमराह

 कर देता था वह अपनी मीठी बातों से

 जब उसे खोजा जाता  

उसका कोई पता नहीं मिल पाता था 

लोग खोजते रह जाते थे  |

राह देख हार जाते  थे 

उम्मीदों पर कैसे टिकते 

बहुत दुखी होते थे 

आखिर कब तक राह देखते  |

आशा सक्सेना 

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