29 जून, 2023

नया शहर


अनजान डगर नया शहर

पैर कांपे थर थराए  

पर हिम्मत से काम लिया

सारे विघ्न हटाए एक तरफ |

किसी से कब तक डर कर रहते

अपने अरमां जो  सजाए मैंने

तब किसी से पूंछा नहीं था

अब दुःख हुआ अपने सोच  पर |

सुख जब आया दुःख भूले

आगे  बढ़ने की चाह में

अपनी हिम्मत पर भरोसा किया

 तुमसे भी सलाह ली मैंने |

अब कुछ हल्का है मन

सही राह मिल गई  है

है लंबा रास्ता पर

 थके नहीं हैं अब तक |

यही उत्साह यदि कायम रहा

मुझे कोई हरा ना  सकेगा

नया शहर रास आया है

यही क्या लाभ नहीं मुझे |

मैंने जो किया तन मन से किया

ईश्वर भी सहायक हुआ हर पल

उसने दर्शाई दया द्रष्टि

तभी सफलता का मुंह देख पाई  |

आशा 

28 जून, 2023

वन के राम तपस्वी राजा

वन के राम तपस्वी राजा
 भरत अवध के राज कुमार 
जब सुना राम ने
 भरत और माताएं मिलने आरहे हैं
 सारी वीथियाँ साफ करवाईं
 कहीं काँटा ना लग जाए मेरे भाई को
 उसे मार्ग में कष्ट ना हो 
 उसने पालन किया 
पिता की आज्ञा का ली
 खडाऊं रखा उन्हें सिंहासन पर
 दिया आदर सन्मान उनको
 जब तक भाई है वन में
 यही उसका ठौर है 
आदेश यही जब राम यहाँ आएँ
 उनकी अमानत उन्हें लौटाऊँगा
 यही संकल्प लिया भरत ने
 यह छोटा सा भाग रामायण का
 बहुत सुन्दर लगता
 बहुत प्रेरणा देता है
 यह भाई के प्रेम की सुन्दर मिसाल |

जीवन के रूप अलग से दिखाई देते

हंसना रोना खिलखिलाना
 है बहाना जिन्दगी जीने का
 यह गुण आए कहाँ से आए
 किसी ने नहीं कबूले 
 यह ज्ञान दिया किसने 
 सब ने कहा हमने नहीं
 पर आसमान से ना आई
 हँसी,खुशी और रंगीन तबियत 
 यहीं की उपज है मित्र बनाना
 अपनी अक्ल की दाद देना
 सारा यश अपने को देना 
फिर सब को उपदेश देना
 | उसने भी कुछ लिया दिया
  धन्यवाद तक ना किया
 मुझे दुःख इसी बात का हुआ
क्या   मैंने की थी बचकानी हरकत | 
 

27 जून, 2023

कण कण में शिव शंकर


 

कंकड़ कंकड़ में शिव शंकर

 रहा उनका घर भव् सागर में  

मन ने जो कुछ सोचा

एक दम सही सोचा |

वे हमारे इतने नजदीक

जब याद किया उनको

वे चले आए क्षणों के अंदर

उनने पूरे किये अपने किये वादे को |

निभाया अपना प्रेम मानव के लिए

दी सही सलाह सब को

जो उनसे था अपेक्षित

यही सब कहते हर कंकर में शिव शंकर |

जब शिव जी भव सागर में में घूमें

सुख दुःख देखा सब का

सरल चित्त होने से

किसी को ना  दिया श्राप

क्षमा यहाँ रहने वालों को किया

केवल सहायक हुए यहाँ

लोगों के कष्टों को मिटाने में  

तभी कहलाते कण कण में शंकर बसे हैं

सब की पीड़ा हर लेते हैं 

हैं दया के स्वामी  यही है विशेष शंकर में |

26 जून, 2023

बड़ा बोल बोला मैंने

 तुम चन्दा मैं तुम्हारी छाया 

तुम तारे मैं उनकी प्रतिछाया  

है प्यार एक तराजू के एक पल्ले में  

जीवन दूसरे पल्ले में |

किसी ने नजरअंदाज किया

मेरा भ्रम तोड़ दिया 

मुझे एक झटका लगा मलने 

यह गलतफैमी   पाली 

मैं पूरी सक्षम हूँ 

यही बड़ा बोल बोला|

अपने को नियंत्रण में  ना रख पाई 

इसी ने विष का काम किया 

उसने ही मेरा भ्रम तोड़ा |

आशा सक्सेना 

मन ने भी कुछ सोचा

\

दिन बीता ,शाम आई , रात गई

कहने को कोई काम नहीं किया

 फिर क्या किया

                      कुछ नया नहीं पर धैर्य रखा   |                                     

इसकी महिमा से

कोई अपेक्षा  नहीं रखी

फिर भी कर्तव्य करती गई

जो भी सोचा किया पूर्ण रूचि से किया |

मन मुखरित हुआ ना  हुआ

स्वप्न का भी अर्थ नहीं सूझा

आने वाले स्वप्नों का अर्थ सार्थक नहीं हुआ

यही अच्छा  हुआ ना  हुआ |

जीना केवल स्वप्नों में

है क्या  न्याय हमारा   

अपने मन का किया

किसी ने सही  समझाया  नहीं

यह  तो पता नहीं पर आशय नहीं समझा |

बस एक धैर्य था जिसका दामन पकड़ा

कभी तो सफलता मिलेगी यही सोचा

असफलता से सफलता की राह मिलेगी

यही विशेषता है इस में |

25 जून, 2023

तुमने किसी को महत्व ना दिया

 

तुमने किसी को महत्व ना  दिया

समाज का आदर ना किया

अपना दिल उसे दे दिया

अपने से बहुत नजदीक किया |

उसने कदर न जानी तुम्हारी

यही बात उसके मन ना  भाई

बिना सोचे विचारे यह क्यों किया

किसी का दिल तोड़ दिया |

उसे खुश रखने के लिए

यह सही नहीं किया

|सब का मान सन्मान ना किया

उड़े तुम झूटी शान मेंआसमान में

किसी की आवश्यकता नहीं समझी

जिसने भी अपनी हाथ फंसाया 

काजल की कोठारी में उसने 

अपने हाथ काले किये |

मन को किसी के ठेस लगी

 यही बात मन को चुभ  रही 

हमने तो जीने का मन बनाया 

रंगीन सुहाने सपनों में 

यही है प्यार की रीत 

कुछ नया नहीं है 

आशा सक्सेना