30 जुलाई, 2023

मुझे तुम से कभी प्यार ना रहा कभी

 मुझे तुमसे प्यार ना  रहा कभी भी 

पर बहुत सन्मान रहा 

;इतना कि जिसे नापने का

 पैमाना नहीं है |

विज्ञान ने की इतनी प्रगति 

पर ऐसा उपकरण बनाना भूल गए 

जब तब भी कोशिश की 

अपनी असफलता पर 

मन को बहुत ठेस लगी |

पर विरोध ना कर पाए किसी का |

अपने को पहचान ना पाए 

पहले से यदि खोज लिया होता 

इतना अपमान ना सहना पड़ता 

अपने पराए का भेद समझ हर 

ब्यवहार एक जैसा रखते 

कभी नहीं उलझते |

आशा सक्सेना 


29 जुलाई, 2023

यह जीवन है

यह जीवन   जीवन है इसको ऐसेही जीना है 

कितनी भी कठिनाईआए उसे सहन करना है 

यही एक समस्या है जिससे  उभरना है 

जिसने भी डराया बचने की सलाह दी इसदे 

 उसको  क्या लाभ मिला इससे 

जिस से खुशी का एक पल ना  मिला 

मन को बड़ा संताप हुआ, सोचा अब क्या होगा 

जीवन का आकलन कैसे किया जाए |

जीवन में परिवर्तन की कोई अपेक्षा नहीं उससे 

हम को ही उसके अनुकूल बनना है 

है कुछ अधिक ही कठिनाई उसमें 

जिसे मन से पहले समझना है |

जब ठीक से समझ लेंगे तभी

 उसकी और ध्यान दे पाएंगे 

हमें प्रयत्न दिल से करना हैं |

 पीछे नहीं हटना है ,सदा आगे बढना है

किसी से तुलना नहीं केरना है 

तभी सफल हो पाएंगे

 जीवन की कद्र कर पाएंगे

 ऐसा ही जीवन होता सबका 

इससे  नहीं भागना है |

 जीवन की अच्छाई का  मन में  

बहुत बड़ा है स्थान 

भूले से भी उसको नहीं  अस्वीकारना है 

 है यही सलाह मेरी

 यदि हो मन की चाह उस पर चलना है |

आशा सक्सेना 


27 जुलाई, 2023

आओ हम तुम साथ चलें

 आओ हम तुम मिल जुल कर रहें 

अपनी मित्रता पर भरोसा रखें  

आपसी  बुराई ना  करें ना जलें एक दूसरेसे 

एक दूसरे की बुराई ना करें ना सुनें  |

हमनें तो सोच लिया है

 जब तक जियेंगे साथ रहेंगे 

मित्रता पर आंच ना आनें देंगे 

अपनी मित्रता अकशुन्य रखेंगे |

हमने तो अपना वादा  निभाया है 

लोग हमें खुश देख दूसरों को मिसाल 

हमारी मित्रता की मिसाल देते नहीं थकते 

मुझे अपार प्रसन्नता होती है 

अच्छे मित्रों में गिनती जब मेरी होती|

यही तो सीखा है मैंने अपनी माता से 

कोई मुझपर उंगली उठा नहीं सकता 

समाज मुझे कटु भाषी  कह  नहीं सकता 

मीठी भाषा पर है विश्वास मेरा 

जो मुझे विरासत मैं मिली है |

आशा सक्सेना 

26 जुलाई, 2023

फिर दरार क्यूँ

उसने तुमसे प्यार किया 

कभी खुल कर ना इजहार किया  

जीवन की घड़ियाँ होती कठिन 

किसने की शिकायत तुम्हारी

तुम  कान के कच्चे तो नहीं 

घर में यह है हाल 

तब बाहर ना  जाने क्या होगा |

तुमने उसे अपनाया नहीं

एहसास कराया नहीं

कि उसका तुम्हारे

 सिवाय कौन होगा |

 तुम से बड़ा हितेषी आजतक

उसने कभी  देखा नहीं, परखा नहीं

उसका क्या संबध  रहा तुमसे

 क्या सोचा तुमने उसके लिए

फिर संबंधों में दरार, क्यूँ किस लिए

आशा सक्सेना 

 

 

25 जुलाई, 2023

कब तक मुझे सिखाओगे

कब तक मुझे सिखाओगे 

मेरा मन नहीं मिलता 

किसी से यह कैसे समझाओगे 

ऐसा  स्वभाव मेरा,

 मुझे कुछ करने नहीं देता  |

यदि कोई मुझे कुछ  कहे 

,मुझे सहन नहीं होता 

यही समस्या है मेरी 

मैं कुछ कर नहीं पाता 

खुद निर्णय भी ले नहीं पाता |

अब मैंने छोड़ा है खुद को 

करतार तुम्हारे  हवाले 

तुम हो मेरे पालन हार  

मुझे सब से प्यारे 

मैं दीन दुखी याचक तुम्हारा 

 दया भाव रखोगे मु झ पर

यही चाह है मेरी आज तक 

मैं तुम्हारे चरणों में रहूँ 

तुम्हारी तन मन से सेवा करू

 तभी मेरा होगा कल्याण 

मुझे किसी पर नहीं विश्वास

यही हाल है मेरा मैं किसे  बताऊँ |

आशा सक्सेना 

24 जुलाई, 2023

मन की शान्ति

 कविता है बड़ी छोटी सी 

 अर्थ गूढ समझ से बाहर 

जब भी गहन अध्यन किया 

बड़ा आनन्द  आया |

खेल खेल में ले किताब  हाथ में 

 पढ़ने का शौक पनपा 

धीरे धीरे  बढ़ने लगा 

पर विषय वार पुस्तकों से हुई दूरी 

प्रभाव दिखने लगा 

पढाई में मन ना  लगा |

नंबरों की घटती संख्या 

ने सब को सतर्क किया 

चाहे जब डाट पड़ने लगी 

 समझ में आई अपनी गलती 

समय निर्धारण हर काम का

 नहीं किया था अब सारी पढाई

 चौपट होते दिखी

 बार बार रोका टोकी की जब सब ने 

समझ में आई अपनी भूल 

मन को क्लेश हुआ |

अब वक्त का महत्व समझा 

  फिर पढ़ने में मन लगाया 

अब किसी को कोई शिकायत नहीं है 

अपनी किताब पढने के लिए

 समय निर्धारित किया 

अब किसी को शिकायत नहीं थी 

उसे भी मन में शान्ति मिली

आशा सक्सेना 


23 जुलाई, 2023

तुमने क्यों की अपेक्षा

 

जन  मानस से क्या अपेक्षा

जब खुद ने किसी की अपेक्षा  पूर्ण ना की 

लटकाए रखा दूसरों को अधर में |

कोई किसी की मदद करे

 यह कैसे सोच लिया तुमने ,

जब खुद ने किसी की मदद ना की

 समय पर किसी के काम ना आए

 वह कैसे कह सकता है

 तब तो सोचा होता 

किसी और को भी आवश्यकता

 हो सकती होगी तुम्हारीजैसी 

लटकाए रखा तुमने उन्हें  

हाँ , ना के झुले में झूलते रहे  

  कोई निर्णय ना ले पाए

 तुम्हारी मदद यदि पक्की होती

 वे किसी और की राह नहीं देखते ,

तुमने तो उलझा दिया उनको|

आशा सक्सेना