तुम यदि सहारा न दोगे उसे
उसकी ओर हाथ न बढ़ाओगे
कौन देगा रिश्ते की गर्मीं उसे
और क्या अपेक्षा करोगे उससे |
तुम यदि प्यार में किये वादे निभाओगे
प्रीत की वही ऊष्मा उसमें भी पाओगे
कितनी आवश्यकता है तुम्हारी उसे
उसके सिवाय कौन जानता है तुम्हें |
इस हाथ लोगे दूसरे से भर पूर दोगे
तुम हो हमकदम हमख्याल उसके
रहोगे सदा साथ हमजोली हो उसके
उसके मन को कभी न जान सकोगे |
वह समर्पण की भावना जो है उसमें
तुम कुछ अंश भी उसका दे पाओगे
वह बदले में कुछ नहीं चाहती
उन लम्हों में झूमता उसे पाओगे |
आशा