26 जनवरी, 2011

वह एक बादल आवारा

वह एक बादल आवारा
इतने विशाल नीलाम्बर में
इधर उधर भटकता फिरता
साथ पवन का जब पाता |
नहीं विश्वास टिक कर रहने में
एक जगह बंधक रहने में
करता रहता स्वतंत्र विचरण
उसका यह अलबेलापन
भटकाव और दीवानापन
स्थिर मन रहने नहीं देता
कभी यहाँ कभी वहाँ
जाने कहाँ घूमता रहता |
पर कभी-कभी खुद को
वह बहुत अकेला पाता
बेचारगी से बच नहीं पाता
जब होता अपनों के समूह में
उमड़ घुमड़ कर खूब बरसता
अपने मन की बात कहता |
जब टपटप आँसू बह जाते
कुछ तो मन हल्का होता
पर यह आवारगी उसकी
उसे एक जगह टिकने नहीं देती
और चल देता अनजान सफर पर
पीछे मुड़ नहीं देखता |

आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर
    ----------
    गणतंत्र को नमन करें

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  2. अरे वाह ..!!
    बादल की आवारगी का सुंदर चित्रण -
    अच्छी कविता है -

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  3. "जब होता अपनों के समूह में
    उमढ़ घुमढ़ कर खूब बरसता
    अपने मन की बात कहता |
    जब टपटप आंसू बह जाते
    कुछ तो मन हल्का होता"

    bahut sundar rachna
    achha laga
    aabhaar

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
    जय हिंद

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  4. गणतंत्र दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें..

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  5. बादलों के साथ मन भी भटक रहा है ...

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..

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  6. बादलों की व्यथा का बहुत अनूठा चित्रण..गणतन्त्र दिवस की हार्दिक बधाई

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  7. जिन्दंगी की दास्ताँ, बादल की जुबानी. यही आपकी, मेरी यही कहानी.

    आपका फोटो संग्रह देख के लगा, अपने ही दादा-दादी को जी रहा हु. श्वेत-श्याम चित्रों में बसे वो फ़रिश्ते...

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  8. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    बहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  9. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
    सुंदर रचना बधाई दोस्त !

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  10. सुन्दर प्रकृति चित्रण!
    गणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
    आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  11. बादल का यह दीवानापन और आवारगी बड़ी सुकून भरी थी ! बादलों के साथ हमारा मन भी उड़ चला है ! सुन्दर और कोमल भावों से परिपूर्ण इस रचना ने दिल जीत लिया ! इसी तरह लिखती रहें और हम सबका आनंदवर्धन करती रहें यही कामना है !

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