22 जून, 2011

विश्वास मन का



मंदिर गए मस्जित गए

और गिरजाघर गए

गुरुद्वारे में मत्था टेका

चादर चढाई मजार पर |

कई मन्नतें मानीं

कुछ इच्छाएं पूरी हुईं

कई अधूरी रह गईं

तब अंतर मन ने कहा

है यह विश्वास मन का

ना कि अंध विश्वास किसी धर्म का

होता वही है

जो है विधान विधि का |

क्या अच्छा और क्या बुरा

,हर व्यक्ति जानता है

फिर भी भटकाव रहता है

सब के मन में |

जान कर भी जानना नहीं चाहता

अनजान बना रहता है

,मन की शान्ति खोजता है

जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल

वह उसके बहुत करीब होता है |

जब आख़िरी दिन होगा

हर बात का हिसाब होगा

सब कर्मों का लेखा जोखा

यहीं दिखाई दे जाएगा |

आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. यह तो सच है !
    जब आख़िरी दिन होगा

    हर बात का हिसाब होगा

    सब कर्मों का लेखा जोखा

    यहीं दिखाई दे जाएगा |

    दार्शनिकता से भरपूर सुन्दर रचना ! बधाई !

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  2. जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल , वह उसके बहुत करीब होता है |
    सच कहा आपने

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  3. सही कहा आपने - जैसी करनी वैसी भरनी

    जवाब देंहटाएं
  4. होता वही है

    जो है विधान विधि का |

    क्या अच्छा और क्या बुरा

    ,हर व्यक्ति जानता है

    फिर भी भटकाव रहता है

    सब के मन में |
    sach kaha

    जवाब देंहटाएं
  5. 'जिसका मन होता स्वच्छ और निर्मल

    वह उसके बहुत करीब होता है '

    ...............सत्य वचन

    ..................आस्था का सत्य निरुपित करती सुन्दर रचना

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  6. यही सच्चाई है बहुत अच्छी रचना ,बधाई .....

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  7. सच कहा है ... अच्छा बुरा ... स्वर्ग नरक सब यही है ... और सब जानते भी हैं ... अच्छी रचना है ...

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