एक रथ के दो पहिये हैं
पिता और माता
दोनो खींचते जीवन रथ
समय साक्षी होता
रथ चलता जाता
ऊर्जा किसकी कितनी
क्षय होती वही जानता |
पिता की महिमा
बच्चों से ज्यादा
कोई समझ न पाता
बिना पिता के
कोइ कार्य
सफल ना होता
पिता पिता है
उसका स्थान
कोई ना ले पाता
महानता उसकी देखो
कभी एहसान नही जताता |
तभी तो महिमा उसकी
ताउम्र भूल न पाते
हर छोटे बड़े लम्हे में
पिता सदा याद आते |
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