:
हिन्दी है हिन्द की बिंदी ,मस्तक पर सुहाती |
भारत माँ के माथे पर ,वह बेमिसाल लगती ||
सहज सरल मधुर भाषा ,अपनापन दर्शाती |
जब उपयोग में आती ,मन में मिठास भरती ||
भारत माँ के माथे पर ,वह बेमिसाल लगती ||
सहज सरल मधुर भाषा ,अपनापन दर्शाती |
जब उपयोग में आती ,मन में मिठास भरती ||
हिन्दी की निंदा ना करो ,प्रेम से पोषित करो |
जनमानस में बसी है ,उसे उचित स्थान दो ||
भोर का सपना लगी ,हमें हिन्दी की गरिमा |
कोई सवाल ना रहा ,साकार हुआ सपना ||
आशा
जनमानस में बसी है ,उसे उचित स्थान दो ||
भोर का सपना लगी ,हमें हिन्दी की गरिमा |
कोई सवाल ना रहा ,साकार हुआ सपना ||
आशा
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