28 अप्रैल, 2016

चंद विचार बिखरे बिखरे

धीरज धरती सा के लिए चित्र परिणाम

बेचैन न हो धर धीरज धरा की तरह
सब कष्ट सहन करना धरती की तरह
गुण सहनशीलता का होगा विकसित
महक जिसकी होगी हरीतिमा की तरह |

दीन  दुनिया से है दूर तो क्या
अंतस की आवाज तो सुन सकता है
उस पर ही यदि अडिग रहा
उसका ही अनुकरण किया
तब आत्म विश्वास जाग्रत होगा
वही सफलता की कुंजी होगा |
ममता माता पिता की के लिए चित्र परिणाम
मां की ममता पिता का दुलार
है अद्भुद ममता का संसार
हूँ बहुत भाग्यशाली देखो ना
भरपूर पाया मैंने दौनों का ही प्यार |

अरे मूर्ख मां की शक्ति को जान
अरे नादान  भक्ति की शक्ति को पहचान
जाने कब मां प्रसन्न हो तुझ पर
निर्मल मन से उसे ही अपना मान |

क्यारी फूलों की के लिए चित्र परिणाम
हूँ उदास कि गम से की है यारी
पर मनवा वहां  हो जाता भारी
जो  आती सुगंध मंद मलय के संग
वही क्यारी हो जाती प्यारी |

विरासत अपनी भूले आज भी परतंत्र हैं
कोई परिवर्तन नहीं भीड़ में फंसे हैं
शासन भीअसफल रहा उसे सहेजाने में
कर्तव्य बोध सुप्त ही रहा अधिकार मांग रहे हैं |

आशा








शा

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