23 जनवरी, 2017

नाराजगी


न जाने क्यों
आज सुबह से है
नाराज बिटिया
मना मना कर
थक गई हूँ
पर कर रही मुझे
नजर अंदाज गुड़िया
अरे जरासा मुस्कुरा दोगी
तो क्या होगा
दुर्बल तो न हो जाओगी
मेरा खून अवश्य
बढ़ जाएगा
तुम्हारी मुस्कान देख
भगा दो यह क्रोध
अपनी निगाहों से
बचपन में यह
अच्छा नहीं लगता
प्यार से अपनी बाहें
मेरे गले में डालो
मैं निहाल हो जाऊंगी
तुम पर वारी जाऊंगी |
आशा



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: