सर पर मोर मुकुट
श्यामल सुन्दर गात
बांधे पीली कछोटी
काली कमली साथ |
हाथ में मुरली मनोहर
गोप गोपियाँ साथ
ब्रज की गलियों में
करील के कुंजों में
कदम तले मुरली बजे
धावत गोप गोपिया
सुध बुध भूल गए
कन्हा की बांसुरी सुन
कदमों में आई थिरकन
झूम झूम नृत्य करने लगे
रास का यही दृश्य
मन में घर कर गया
सारी सृष्टि कृष्णमय कर गया |
आशा
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