बसंत ऋतु को कर विदा
पतझड़ ने डेरा डाला
पत्ते पीले हो झड़ने लगे
फिर भी कुछ पौधों पर
हरी हरी कलियों में से
झांक रहे केशरिया पुष्प
हाथों से यदि छू लिये
हाथ पीले हो जाते
अभी भी स्रोत
यही हैं
देहातों में केशरिया रंग के
घर पर इनसे ही रंग बना कर
होली पर खेलते रंग
प्रियतमा के संग
हो जाते अनंग
खुशीयों में रम के
फूलों की होली के
हैं ये प्रमुख हमजोली
ये होते
बहुत उपयोगी
दवा में उपयोग किये जाते
श्वेत पुष्प पलाश के
तंत्र मन्त्र साधना में
काली शक्तियों को दूर करने में
पाते सफलता साधक
केशरिया श्वेत पुष्पों के उपयोग से
|
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर टिप्पणी के लिए |
हटाएं'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (02-04-2020) को "पूरी दुनिया में कोरोना" (चर्चा अंक - 3659) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
मित्रों!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु आभार टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंवाह ! पलाश के औषधीय गुणों के प्रति जागरूक करती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुंदर सखी।पलास के औषधीय गुणों को बहुत अच्छी जानकारी दी आपने।
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