08 मई, 2022

मन का आयना

 



वह है  आयना तेरे मन का

मन की छाया 

तेरे चहरे पर पड़ती

मन में क्या चल रहा है

वही सत्य उगलती |

कोई भी आयना झूट नही बोलता

वही दिखाता है जो मन में होता है

वह कोई मुखौटा नहीं

जो बदले भाव दिखाए |

जो सच का आदर्श दिखाई देता उसमें

कितनी भी बात छिपाने की कोशिश हो

सत्य उजागर हो ही जाता इसके माध्यम से

सारे भेद खुल जाते उसमें झांकने में  |

वही सत्य जो तुमने छिपाया जमाने से 

आयने से छुपा न सके 

कितना भी छुपाओ 

उससे बच कर कहाँ जाओगे 

मन के भावों के उजागर होने से 

बच  न पाओगे मन साफ रहेगा 

तब कोई चिंता नहीं होगी 

तुम्हारी छवि धूमिल न होगी |

आशा  



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