सांस रुकने के पहले शेष काम करना हैं
कोई कार्य अधूरा ना रहे यही सोचना है
उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक बंधन नहीं चाहिए कोई
यही है प्रार्थना प्रभू से |
किसी से क्या चाहिए जबअपनों ने ही साथ ना दिया हो
कभी दो शब्द अपनेपन के सुनने को कान तरसे |
हम तो घर से दूर रहे किसी से ना की अपेक्षा कोई
अपने में सक्षम रहे जीवन भरा कठिनाइयों से
सुख के पल देखे जरा से डेरा डाला दुःख ने
बड़ी उलझने आईं एक बात समझ में आई
सुख के सब साथी होते दुख में कोई नही होता अपना |
अब घबराने से क्या लाभ होगा जब अकेले ही जीवन भर रहना है
जब तक रहा साथ तुम्हारा जीवन में विविध रंग रहे
कभी किसी अभाव का हुआ ना एहसास
कोई कार्य अधूरा रहे या नहीं ना रहे यही सोचना है |
उन्मुक्त जीवन जिया है अब तक
बंधन नहीं चाहिए कोई
और यही है प्रार्थना प्रभू से |
आशा सक्सेना
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