07 जनवरी, 2010

बिदाई की बेला में

कुछ मीठी कुछ खट्टी यादें 
 बार बार मन को महका दें 
 उन्हें भूल न जाना बहना 
 आज बिदाई की बेला में 
 मुझे यही है कहना |
 झरने सी तुम कल कल बहना 
 कठिन डगर पर बढ़ती रहना 
 बंध स्नेह का तोड़ न देना 
है  यही तुम्हारा गहना 
 मुझे यही है कहना | 
प्रीत रीत को भूल न जाना 
 घर आँगन को तुम महकाना 
 सदा विहँसती रहना
  हमें भूल न जाना बहना |
 मंगलमय हो पंथ तुम्हारा 
 सदाचार हो गहना 
 सुन्दर तनमन देख तुम्हारा 
कुछ कहा जाए ना बहना 
 मुझे यही है कहना | 
 आशा

2 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी सुन्दर शुभेच्छायें दी हैं आपने सभीको । इसी तरह से प्रेम प्यार की सुखद बयार बहाती रहें । सुन्दर और भावपूर्ण कविता है । बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: