12 जुलाई, 2012

जज्बा प्यार का



भावनाएं हो तरंगित
लेती हिलोरें मन में
जल में उठती लहरों सी
होती तरंगित दौनों ओर
सामान रूप से
जब होती आंदोलित
बांधती उन्हें
अगाध प्रेम के बंधन में
छोड़ती अमित छाप
अग्रसर होते जीवन में
यही है जज्बा प्यार का
बंधन होता इतना प्रगाढ़
कोई प्रलोभन
कोई आकर्षण
या यत्न इसे डिगाने के
बंधन तोड़ नहीं पाते
सभी विफल हो जाते
सरल नहीं इसे भुलाना
छिप जाता है
अंतस के किसी कौनेमें
हो यदि अलगाव
उससे उत्पन्न वेदना
असहनीय होती
मन में कसक पैदा करती
यही बेचैनी यही कसक
सदैव ही बनी रहती
कहानी प्यार की
अधूरी ही रह जाती |
आशा


11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और प्रभावी अभिव्यक्ति...

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  2. बहुत सुन्दर रचना आशा जी.

    सादर
    अनु

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  3. प्यार का बंधन होता इतना प्रगाढ़ सरल नहीं होता इसे भुलाना... बहुत सुन्दर भाव... आभार आशाजी

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  4. वाह: बहुत सुन्दर रचना आशा जी...आभार

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  5. बढिया अभिव्यक्ति है कसक भी प्यार की शक्ति है .

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  6. प्यार तभी तक है जब तक अधूरा है :):) बढ़िया अभिव्यक्ति

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  7. कहानी प्यार की
    अधूरी ही रह जाती |..

    बहुत सुन्दर लिखा है आशा जी आपने !

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  8. कहानी प्यार की हों या जिंदगी ....वो हमेशा ही अधूरी सी पाई गई हैं ....सादर

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  9. यही अधूरी कहानियाँ ही जीवन भर तकलीफ देती रहती हैं और जीना दुष्कर हो जाता है ! प्रभावी प्रस्तुति !

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