चौक पुराऊँ अंगना
,दीप जलाऊँ द्वार |
खुशियों की सौगात
लिए ,आया यह त्यौहार ||
है स्वागत आज तेरा ,पर
मन में अवसाद |
मंहगाई की मार से ,होने
लगी उदास ||
दीपक तेरी रौशनी,
फीकी लगती आज |
परम्परा निभा रही है ,भूली सभी मिठास ||
पूजन अर्चन के लिए ,पहने वस्त्र सम्हाल |
खूब चलाई चकरी ,फटाके और अनार ||
नन्ही के आई हिस्से ,फुलझड़ी का तार |
प्रेम बांटने आगया ,मनभावन त्यौहार ||
रंग बिरंगी रौशनी ,बिखरी चारों ओर |
दीपक तेरी रौशनी फीकी सी क्यूँ होय ||
रंग बिरंगी रौशनी ,बिखरी चारों ओर |
दीपक तेरी रौशनी फीकी सी क्यूँ होय ||
दीप मालिकाएं सजी ,सभी घरों के पास |
क्यूँ फिर भी लगती कमीं ,दीप जलाऊँ द्वार ||
क्यूँ फिर भी लगती कमीं ,दीप जलाऊँ द्वार ||
badhiyaaa mahauli koml bhaav ke dohe ,badhaai
जवाब देंहटाएंइस सुंदर त्यौहार की हार्दिक शुभकामनायें .... सादर
जवाब देंहटाएंदीपक तेरी रौशनी, फीकी लगती आज |
जवाब देंहटाएंपरम्परा निभा रही है ,भूली सभी मिठास ....waakai men ....
बहुत उम्दा दोहे ,,,,,
जवाब देंहटाएंदीपक नगमे गा रहे,मस्ती रहे बिखेर
सबके हिस्से है खुशी,हो सकती है देर.,,,,
RECENT POST:..........सागर
सही लिखा आपने...बहुत सुंदर और बहुत बढिया धन्यवाद
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी रौशनी ,बिखरी चारों ओर | दीपक तेरी रौशनी फीकी सी क्यूँ होय ||
जवाब देंहटाएं....वाह......बहुत खूबसूरत
बहुत सुंदर और सटीक दोहे ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ
बात तो सही है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ! आपके दोहों ने दीवाली का समाँ बाँध दिया ! मज़ा आ गया !
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