09 नवंबर, 2012

कुछ दोहे


चौक पुराऊँ अंगना ,दीप जलाऊँ द्वार |
खुशियों की सौगात लिए ,आया यह त्यौहार ||

है स्वागत आज तेरा ,पर मन में अवसाद |
मंहगाई की मार से ,होने लगी उदास  ||

दीपक तेरी रौशनी, फीकी लगती आज  |
परम्परा निभा रही है  ,भूली सभी मिठास ||    

पूजन अर्चन के लिए ,पहने वस्त्र सम्हाल  |
खूब चलाई चकरी ,फटाके और अनार ||

नन्ही के आई हिस्से ,फुलझड़ी का तार |
प्रेम बांटने आगया ,मनभावन त्यौहार || 

रंग बिरंगी रौशनी ,बिखरी चारों ओर |
दीपक तेरी रौशनी फीकी सी क्यूँ होय ||





दीप मालिकाएं सजी   ,सभी घरों के पास |
क्यूँ फिर भी लगती कमीं ,दीप जलाऊँ द्वार ||






 

10 टिप्‍पणियां:

  1. इस सुंदर त्यौहार की हार्दिक शुभकामनायें .... सादर

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  2. दीपक तेरी रौशनी, फीकी लगती आज |
    परम्परा निभा रही है ,भूली सभी मिठास ....waakai men ....

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  3. बहुत उम्दा दोहे ,,,,,

    दीपक नगमे गा रहे,मस्ती रहे बिखेर
    सबके हिस्से है खुशी,हो सकती है देर.,,,,

    RECENT POST:..........सागर

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  4. सही लिखा आपने...बहुत सुंदर और बहुत बढिया धन्यवाद

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  5. रंग बिरंगी रौशनी ,बिखरी चारों ओर | दीपक तेरी रौशनी फीकी सी क्यूँ होय ||
    ....वाह......बहुत खूबसूरत

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  6. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  7. बहुत सुंदर ! आपके दोहों ने दीवाली का समाँ बाँध दिया ! मज़ा आ गया !

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