29 मार्च, 2013

स्वच्छंद आचरण


सुनामी सा उनमुक्त कहर 
कुछ अधिक ही हानि पहुंचाता 
हो निर्भय अंकुश विहीन 
स्वच्छंद हो विनाश करता |
 निरंकुशता समुन्दर की
है कितनी विनाशकारी 
अनुभव कटु करवाती 
जब भी तवाही आती |
यही  आचरण उसका
ना सामाजिक ना भय क़ानून का
उत्श्रंखलता  से लवरेज विचरण
बनता नासूर  समाज का 
जीना कठिन कर देता |
आम आदमी निरीह  सा 
ज्यादतियां सहता रहता
यदि किसी ने मुंह खोला 
जीना मुहाल होता उसका |
आशा



14 टिप्‍पणियां:

  1. उफ्फ खरा सत्य बयां किया है आपने आदरेया

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. आप सब को मेरी और से हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

    जवाब देंहटाएं

  5. प्राकृत आपदाओं के ज़रिये राजनीतिक धंधे बाजों और उन्मुक्त विहारियों पे व्यंग्य .

    जवाब देंहटाएं
  6. सुनामी के कहर का प्रभावी चित्रण ! एक सुंदर रचना !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: