30 मार्च, 2013

हसरतों की बारिशें

हसरतों की बारिशें 
जब कम थीं भली लगती थीं 
ख्वाइशें पूर्ण करने की 
मन में ललक रहती  थी
वे पूर्ण यदि ना हो पातीं
अधूरी ही रह जातीं 
बहुत दुखी करतीं थीं |
पर जब से बरसात इनकी 
थमने का नाम नहीं लेती 
कभी ओले का रूप भी लेती 
बन जाती सबब परेशानी का 
लगता डर हानि का 
उत्साह कमतर होता जाता
जाने कहाँ खो जाता 
प्यार के गुब्बारे की 
हवा निकलती जाती 
उदासी अपना पैर जमाती |
आशा 


17 टिप्‍पणियां:

  1. ख्वाइशें पूर्ण करने की मन में ललक रहती थी
    ..बहुत सुन्दर अहसास लिए रचना...!!!!

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  2. बहुत ही संवेदनशील कविता

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  3. ख्वाइशें जब पूरी नहीं होती यही दू:ख का कारण बनती है -बढ़िया प्रस्तुति

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  4. अतिमहत्वाकांक्षा के दुष्परिणाम होते ही हैं...

    बहुत अच्छी रचना..
    सादर
    अनु

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  5. .बहुत सुन्दर अहसास लिए बढ़िया रचना.

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  6. जो हसरतें पूरी न हो सकें उन्हें खुदा पर छोड़ देना चाहियें | मौला सब की सुनता है और सब की मुरादें पूरी करता है | सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए शुक्रिया | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच-1200 पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर!

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  8. हसरतें ही हसरतें होती हैं मन में और कभी-कभी यही मन के संताप का कारण बन जाती हैं यह भी ध्रुव सत्य है ! इनसे बच कर रहना ही उचित है !

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  9. हसरतें जवान रहनी चाहियें ... जीने के लिए ...

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  10. ख्वाइशें तो बहुत होती हैं,चाहते भी हैं इसे पूरा करने का.बेहतरीन रचना आभार.

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  11. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!!
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

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  12. हसरतें हसरतें और हसरतें यही है वैचारिक मरीचिका ,मतिभ्रम ,भ्रांत धारणा एक शब्द में illusion of thought .

    यूं हसरतों के दाग मोहब्बत में धौ लिए ,और दिल से दिल की बात कही ,खुद ही रो दिए

    घर से चले थे हम तो मोहब्बत की तलाश में ,गम राह में खड़े थे वाही साथ हो लिए .

    बढ़िया प्रस्तुति .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .

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