25 अप्रैल, 2015

छाँव की तलाश में



पतझड़ का मौसम के लिए चित्र परिणाम
एक अकेला बियावान में
खोज रहा
पल दो पल की छाँव
है थका हुआ उत्साह रहित
 मंजिल से अनजान
वेग  वायु का  झेल रहा
 संतुलन कभी खोता
फिर सम्हलता
है पतझड़ का आलम ऐसा
खड़े ठूंठ पर्ण विहीन
धरा पर पसरे  पीत पर्ण
सूखे साखे जल स्त्रोत  
सब ने नकार दिया  
दो बूंद जल तक न मिला
कंठ सूखने लगा
सांस रुकती सी लगती
क्या करे वह श्री विहीन
जूझ रहा है खुद से
आस पास के हालात से
छाँव की तलाश में |
आशा

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