24 मार्च, 2016

गुजिया


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मावा मंगा फ्रिज में रखा
हिदायत दी जूठा ना करना
पर जब भी ध्यान जाता
उस और खीच ले जाता
मां ने पहले ही कहा था
पूजा होगी हाथ न लगाना
जैसे तैसे रात कटी
गुजिया मन में पैठ गई
मैदा गूंध अलग रखी
मावा मेवा का पूर बनाया
बनते देख मुंह में पानी आया
बनाने में समय बहुत लगा
वह बेली गई भारी गई
फिर कढ़ाई में तली गई
सौंधी खुशबू मावे की
गुजिया के तले जाने की
चौके तक कई बार ले गई
पर संयम तोड़ न पाए
बचने को वर्जना से
इंतज़ार में बेचैन रहे
पूजा की गुजिया अलग निकाली
तब मां ने आवाज लगाई
जल्दी से आजाओ
कहीं हाट उठ न जाए
गुजिया कहीं उड़ न जाए
धैर्य की विजय हुई
एक अधिक गुजिया मिली
जिसकी मिठास मुंह में घुली
जो आनंद उसमें मिला
आज तक भूल न पाए |
आशा







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